नासा के Insight lander ने मंगल ग्रह पर लैंडिंग कैसे की....How Mars Insight Lander is Work ~ TOTAL tech GYAN

नासा के Insight lander ने मंगल ग्रह पर लैंडिंग कैसे की....How Mars Insight Lander is Work

 नासा का इनसाइट मिशन एक रोबोटिक लैंडर है जिसे मंगल ग्रह के आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए भेजा गया है इनसाइट का पूरा नाम इंटीरियर एक्सप्लोरेशन using सीस्मिक इन्वेस्टीगेशन  godc और हीट ट्रांसपोर्ट है नासा ने 5 may 2018 को कैलिफ़ोर्निया के wendenberg एयरफोर्स बेस से  इनसाइट मार्स मिशन को लांच किया लगभग 7 महीनो की लगातार यात्रा के दौरान 458 मिलियन किलोमीटर की दुरी तय की और फाइनली 26 november 2018 को मंगल ग्रह की सतह पर सफलतम लैंडिंग की भारतीय समयानुसार इस यान ने मंगलवार 27 नवंबर को सुबह एक बजकर चौबीस मिनट पर मंगल ग्रह की सतह पर लैंडिंग की । ये पूरा घटना क्रम किस तरह से सम्पन हुआ और इसमें क्या क्या समस्या आई आज मैं आपको बताऊंगा इस ख़ास आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा  स्वागत है आप सभी का हमारे YOU TUBE  CHANNEL TOTAL tech GYAN के वेब पोर्टल www.totaltechgyanweb.com में ।

अपनी 206 दिनों के यात्रा के दौरान ये यान 458  मिलियन किलोमीटर की दुरी तय कर  भारतीय समयानुसार इस यान ने मंगलवार 27 नवंबर को सुबह एक बजकर दस मिनट पर मंगल ग्रह के नजदीक पहुंच गया मंगल ग्रह के नजदीक पहुंचने के बाद इनसाइट लैंडर यान के क्रूज से अलग हो गया सुबह एक बजकर सत्रह मिनट पर मंगल ग्रह के वातावरण में प्रवेश कर गया 20,000 प्रति किलोमीटर की रफ़्तार से मंगल ग्रह के सतह की और बढ़ने लगा वायुमंडलीय घर्षण के कारण इसका तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चूका था लेकिन इसमें निचे तरफ लगी हुई हीट शील्ड की वजह से ये सुरक्षित रहा इतनी अधिक हीट होने की वजह से नासा के मिशन कण्ट्रोल से इसका radio संपर्क टूटने का भी खतरा भी बरक़रार था सुबह एक बजकर इक्कीश मिनट पर इनसाइट ने अपना parasuit खोला  parasuit खुलने के बाद धीरे धीरे इसकी स्पीड कम होने लगी और कुछ समय बाद इसकी स्पीड आठ किलोमीटर प्रति घंटे तक हो गयी इस समय इनसाइट ने अपने हीट शील्ड को भी अपने से अलग कर दिया अब वक़्त था सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया का । मंगलवार एक बजकर तेईस मिनट पर इनसाइट को लैंड करवाने के लिए इसके फोल्डिंग लेग्स को खोला गया जैसे ही इनसाइट सतह के नजदीक पंहुचा तो parasuit इससे अलग हो गया । सुबह एक बजकर चौबीस मिनट पर अपने लैंडिंग इंजन के वजह से इनसाइट ने मंगल ग्रह पर पहुंच कर इतिहास रच दिया ।

इनसाइट को लांच करवाने के लिए मंगल ग्रह पर इलिसियम प्लेनिसिया नमक एक जगह को चुना गया था क्योंकि मंगल की ये जगह एक दम से सपाट है इसीलिए इस जगह पर इनसाइट को लैंड करना और मंगल को ड्रिल करना आसान था। यान के क्रूज से अलग होने बाद 14 मिनट 32 सेकंड के अंदर  इनसाइट ने मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली। मंगल पर लैंड करते ही इनसाइट ने अपने सोलार पैनल खोल लिया और अब ये सूर्य से मिलने वाली एनर्जी से अपनी बैटरी चार्ज कर रहा है।

चलिए अब ये जानते है की ये रोबोटिक लैंडर काम कैसे करेगा ? 
इनसाइट एक तीन सौ पचास किलोग्राम का रोबोटिक लैंडर है जो अपने साथ  पचास किलोग्राम का साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट लेकर जा रहा है इनसाइट 728 दिनों तक नासा को जानकारियां उपलब्ध करवाएगा। इनसाइट लैंडर छह मीटर 19 .7 फिट चौरा है जिसमे दो पोंइट दो मीटर ब्यास के दो सोलर पैनल लगे हुए है इसके अलावा इसके साइंस बैग की लम्बाई एक पोंट छप्पन मीटर है इनसाइट लैंडर में एक एक पॉइंट आठ मीटर लम्बा रोबोटिक एआरएम लगा हुआ है जो इंस्ट्रूमेंट को  डिप्लॉय करने में इसकी हेल्प करेगा इनसाइट के भेजे गए दो मुख्य पेलोड SEIS और HP3 है । 

SEIS एक सिस्मोमीटर है जिसका पूरा नाम सिस्मिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर है यही वो यन्त्र है जिसके द्वारा हमे मंगल ग्रह के आंतरिक संरचना के बारेमें  जानकारी मिलेगी।
ये यन्त्र मंगल ग्रह के सतह में भूकंप ज्वालामुखी बिस्फोट उल्का पिंड या किसी अन्य कारण से पैदा हुई भूगर्भिक हलचल का अध्ययन करेगा इससे प्राप्त होने वाली डाटा की मदद से वैज्ञानिक मगल ग्रह के निर्माण के प्रक्रिया को आसानी से समझ पायेंगें।इसके अलावा ये उपकरण इस बात की भी जाँच करेगा की मंगल ग्रह का क्रस्ट और मेन्टल मेटेरिओट इम्पैक्ट या उल्कापिंड प्रभाव पर कैसे रेस्पोंद करता है इस उपकरण का मुख्या उद्देश्य मंगल ग्रह एटमोस्फियरिक वेव्स को डिटेक्ट करके ये पता लगाना है की आखिर चार पोंट पांच अरब साल पहले मंगल ग्रह पर पृथ्वी और चन्द्रमा जैसे पथरीले ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ और इनके एक परफेक्ट शेप कैसे मिली अगर ये मिशन सफलता पूर्वक सफल होता है तो हमें इनर सोलर सिस्टम की निर्माण का महत्वपर्ण जानकारियां मिल सकती है । इसके अलावा ये सिस्मोमीटर मार्श के चन्द्रमा फोगोस के कारण पैदा होने वाले ग्रामीतिक सिग्नल या तिदल फाॅर्स को भी ऑब्सेर्वे करेगा।

दूसरा महत्वपूर्ण उपकरण HP3 या हीट फ्लो एंड फिजिकल प्रॉपर्टीज पैकेज है HP3 एक सेल्फ हममेरिंग टूल है जो मंगल ग्रह की सतह को ड्रिल करके सोलह फिट निचे अपने इक्विपमेंट पहुचायेगा।ये उपकरण मार्स के कोर से आने वाली हीट को ऑब्सेर्वे करेंगें। इन हर दस सेंटीमीटर पर सेंसर लगे हुए है जो तापमान और ऊष्मा को बेहतर तरीके से माप सकते है इस तरह इनसाइट मंगल ग्रह के कोर से आनेवाली हीट ऑब्सेर्वे करके मगल ग्रह के सतह के बारे में सटीक जानकारियां भेज पायेगा ।वैसे तो इनसाइट का मुख्या काम मंगल ग्रह के डीप इंटीरियर का अध्ययन करके चार पॉइंट पांच बिलियन साल पहले हुई निर्माण प्रक्रिया को समझना है लेकिन इसमें लगे हुए उपकरण इतने सक्षम है की यदि मंगल गृह के निचे अगर कहीं पानी मौजूद हुआ तो ये पानी के मौजूदगी के संकेत भी आसानी से समझ सकते है।
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